ना-हक़ = अकारण, बेसबब, बिना बजह; व्यर्थ में; बेमतलब।
‘उम्दा = बढ़िया, प्रशंसनीय, उत्तम, श्रेष्ठ, सुन्दर, मनोरम, विश्वासपात्र, अच्छा
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी
तब दिलेर और शाद तुम होके, बाप को जाके खबर दो,
दिलेर = बहादुर, साहसी, उत्साही, निर्भीक, हौसलामंद, अभय, निडर
यह ही बाइस है यकीनन, बाप के पास न जाते हैं
क्या ही उम्दा वक्त हमारा, बाप के पास अब जाने website को,
बाक़र मेहदी टैग : दुश्मन शेयर कीजिए
रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी है
मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया
इस गीत के दूसरे संस्करण के लिए यहाँ क्लिक करें: यीशु क्या ही प्यारा मित्र
हबीब जालिब टैग : दुशमनी शेयर कीजिए
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे
लगाव एक अज़ीम रिश्ते की बुनियाद होता है जिसे दोस्ती कहते हैं। दोस्त का वक़्त पर काम आना, उसे अपना राज़दार बनाना और उसकी अच्छाइयों में भरोसा रखना वह ख़ूबियाँ हैं जिन्हें शायरों ने खुले मन से सराहा और अपनी शायरी का मौज़ू बनाया है। लेकिन कभी-कभी उसकी दग़ाबाज़ियाँ और दिल तोड़ने वाली हरकतें भी शायरी का विषय बनी है। दोस्ती शायरी के ये नमूने तो ऐसी ही कहानी सुनाते हैः
दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो
लाला माधव राम जौहर टैग : दोस्त शेयर कीजिए
अहमद फ़राज़ टैग : अम्न शेयर कीजिए